Saturday, 14 April 2012

अमन की राह में अपने अहम् को त्याग कर हिन्दी ब्लॉग जगत का बड़ा भला किया है सुनीता शानू ने.....




बहुत दिनों बाद,  बल्कि  ये कहना  ज़्यादा मुफ़ीद होगा कि पहली 


बार किसी  हिन्दी ब्लोगर  की  सौम्यता, विनम्रता  और  निष्पक्ष


शान्तिप्रियता  ने मुझे प्रभावित किया  है . इतना प्रभावित  किया


है कि  मैंने  अपने तेवर और अन्दाज़ के  विरुद्ध जा कर, पहली बार


अपनी किसी पोस्ट  को हटाने का काम किया है . उस हिन्दी ब्लोगर


का नाम है  सुनीता शानू  जो कि  संयोग से मेरी अच्छी  मित्र और


शुभचिन्तक भी हैं .



सुनीता शानू की  कथनी व करनी में अन्तर नहीं है . उन्होंने अपने 


एक समझदारी भरे निर्णय  से साबित कर दिया  कि  लेखक का दिल


कितना बड़ा  होता है और होना  चाहिए .  बात बिलकुल ज़रा सी थी,


उन्होंने  एक महिला  द्वारा  लिखी गयी  गन्दी पोस्ट  के जवाब में


लिखी गयी मेरी पोस्ट  को निशाना बनाते हुए  मुझ पर कुछ टिपण्णी


की  थी और तैश में आकर  मैंने भी उनके विरुद्ध धारावाहिक पोस्ट


लिखने का ऐलान  कर दिया था  परन्तु जैसे ही उन्हें पता  लगा कि 


मेरी अगली पोस्ट  उन्हीं पर होगी तो उन्होंने  तुरन्त ही  अपनी पोस्ट


के उस हिस्से  को  हटा दिया  जिससे मुझे मिर्ची  लगी थी. 



धन्यवाद सुनीता ............मेरी दोस्त ! काश..........अन्य लोग भी जो 


बिला वजह  किसी व्यक्ति विशेष  को उकसा कर  ब्लॉग जगत में  हंगामा


 करने के  आदि हो चुके हैं यदि आपसे प्रेरणा ले कर सुधर जाएँ तो 

हिन्दी ब्लॉग जगत में फैलने वाली गन्दगी और  बेहूदगी स्वतः ही 


समाप्त हो जायेगी . सुनीताजी, जैसे ही आपने  अपनी पोस्ट  सुधारी, 


मैंने  भी वह पोस्ट  हटा दी...............अगर आपने  अमन का मार्ग चुना


 है तो मैंने भी  आपका सामान करते हुए  आग पर रेत डाल दी है .

हे शान्ति की देवी............तेरी जय हो !


जय हिंद !

Thursday, 12 April 2012

कुदरत हमारी बड़ी माँ जैसी है, परन्तु सहने की भी एक हद होती है यार !



प्यारे मित्रो  नमस्कार !

आइये, भूकंप  ग्रस्त इंडोनेशिया  के समस्त  आपदा पीड़ित लोगों के प्रति 

 हार्दिक संवेदनाएं  व्यक्त  करते हुए प्रभु से प्रार्थना  करें कि वह  कुदरत के 

इस प्रकोप  को सहने की  शक्ति  प्रदान करे. 


शुक्र है कि  जानमाल का ज्यादा नुकसान नहीं  हुआ परन्तु  यह हादसा 

दिल को दहला देने  वाला है भाई..........लगता है कुदरत अब  सृष्टि को ख़त्म 

करने पर आमादा हो गयी है  तभी तो  हर रोज़ कहीं न कहीं, कोई न कोई  

उत्पात  होता ही रहता है.  और हो भी क्यों नहीं,  मानव ने अपने स्वार्थ के  

चलते प्रकृति  का शोषण  क्या कम किया है ? 


काश ! अब भी मानव चेत जाए व कुदरत के संसाधनों का अंधाधुंध दोहन बंद कर दे. 


कुदरत हमारी बड़ी माँ जैसी है . वह हमारा बुरा कभी नहीं करना चाहेगी 

परन्तु  सहने की  भी एक हद होती है यार ! 


कविवर  गोपालदास नीरज  का ये  मुक्तक  भले ही अन्य सन्दर्भ  में कहा गया 

 है  परन्तु आज के दौर में इस पोस्ट पर फिट बैठ रहा है :


छेड़ने पर मौन भी वाचाल  हो जाता है दोस्त !

टूटने पर आईना भी काल हो जाता है दोस्त ! 

मत करो ज्यादा हवन तुम आदमी के खून से 

जलके काला कोयला भी लाल हो जाता है दोस्त !


आज जयपुर  राजस्थान में हूँ  और  यहाँ की तपती  ज़मीं के  ताप से पूरी 

तरह तप हुआ हूँ  लेकिन मन में एक शीतल सा एहसास है कि मैं इंटरनेट 

 पर अपने दोस्तों और चाहने वालों के रूबरू हूँ . 


जय हिन्द !
 

Saturday, 7 April 2012

कुछ अनुपम सूक्तियां लाया हूँ आपके लिए.........







नमस्कार प्रिय मित्रो और शुभचिंतको !

कुछ  अनुपम सूक्तियां लाया हूँ आपके लिए..........



"शिक्षा के मानी  ये नहीं  कि उन्हें वह सिखाया जाये जो वे जानते नहीं, 


बल्कि उसके मानी है उन्हें ऐसा वर्तन करना सिखाना  


जैसा वर्तन  वे नहीं करते"


-रस्किन 



"उन विषयों को पढना जो  हमारे जीवन में कभी काम नहीं आते, 


शिक्षा नहीं है".

-स्वामी रामतीर्थ 



"मुझे ज़्यादा पसन्द है कि लोग  मुझे सीख देते हुए मुझ पर हँसे, 


बनिस्बत इसके कि

 वे  मुझे  कुछ भी फायदा पहुंचाए बगैर  मेरी तारीफ़ करे" 


-गेटे

जय हिन्द ! 


विश्व हिंदी समिति न्यू योर्क  के अध्यक्ष डॉ विजय मेहता  अलबेला खत्री का सम्मान करते हुए . साथ में  सचिव वी पी सिंह

जय हिन्द !


सभी  मित्रों को  सप्रेम नमस्कार 


दुनिया भर में प्रसरे भारतीय  समुदाय को प्रणाम करता हूँ 
आज मैं यह नया ब्लॉग मातृभाषा  हिन्दी के नाम करता हूँ 


जय हिन्द !