नगर पालिका पारडी का पहला पहला हिन्दी हास्यकवि सम्मेलन ख़ूब जमा
पहली पहली बार का मज़ा,,,,,,,,,,
कवियों को पहली पहली बार किसी जगह कवि-सम्मेलन करने का जो आनन्द आता है वह अनूठा होता है, अविस्मरणीय होता है और आत्मतुष्टिदायक भी होता है . यह मेरा सौभाग्य व माँ शारदा की अनुकम्पा ही है कि ऐसा आनन्द लूटने का अवसर मुझे अनेक बार मिला है, बार-बार मिला है . देश - विदेश में ऐसे कई संयोग बने जहाँ आयोजन करने वालों को यह भी पता नहीं था कि कवि सम्मेलन होता क्या है ? क्या कोई ड्रामा, नौटंकी, तमाशा या आर्केस्ट्रा जैसा होता है या शास्त्रीय संगीत जैसा ,,,,,,,,,,किष्किन्धा के गंगावती, कोलार गोल्ड फ़ील्ड, केरला के रमाडा, आंध्र के चिवपल्ली, कोंकण के एलोन इत्यादि जगहों पर तो आयोजकों ने विकल्प के तौर पर कवि गण के साथ साथ वहाँ के मिमिक्री या लोकल गायकों को भी बुला रखा था ताकि कवि सम्मेलन यदि न जमे तो दर्शकों को अन्य कलाओं से खुश किया जा सके - परन्तु कमाल है कि सभी जगह शानदार आयोजन हुए और तीन घंटों की जगह पांच पांच घंटे तक चले
खैर, ये सब तो अहिन्दी भाषी क्षेत्र थे, मज़ा तो ये है कि हिन्दी भाषी हरियाणा में दिल्ली के समीपवर्ती सांपला में भी पहली पहली बार योगेन्द्र मौदगिल के संयोजन में हमने ही कवि सम्मेलन किया था जो आज हर साल होता है
इसी शृंखला में ताज़ा नाम जुड़ा है गुजरात में वलसाड के पास पारडी का ,,,,,,,गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी की शाम वहाँ नगर पालिका द्वारा पहली पहली बार एक भव्य हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन हुआ जिसमें दर्शकों से खचाखच भरा पण्डाल देर रात तक ठहाकों से गूंजता रहा और नरेंद्र बंजारा के मंच संचालन में सुदीप भोला, गोविन्द राठी, अलबेला खत्री व डॉ कार्तिक भद्रा की कविताओं ने महफ़िल लूट ली
मुख्या मेहमान धारासभ्य कनु भाई एम देसाई सिर्फ़ 10 मिनट के लिए आये थे, परन्तु ऐसे बैठे कि चार घंटे तक हिले भी नहीं, इसी प्रकार पालिका प्रमुख शरद एम देसाई तथा उप प्रमुख अनीता के पटेल समेत सभी माननीय पार्षद और अधिकारी भी आखिर तक जमे रहे - कविगण का भव्य सत्कार भी किया गया और उनकी कला को वाहवाही भी खूब मिली --और क्या चाहिए ?
जय हिन्द !
अलबेला खत्री