बहुत दिनों बाद, बल्कि ये कहना ज़्यादा मुफ़ीद होगा कि पहली
बार किसी हिन्दी ब्लोगर की सौम्यता, विनम्रता और निष्पक्ष
शान्तिप्रियता ने मुझे प्रभावित किया है . इतना प्रभावित किया
है कि मैंने अपने तेवर और अन्दाज़ के विरुद्ध जा कर, पहली बार
अपनी किसी पोस्ट को हटाने का काम किया है . उस हिन्दी ब्लोगर
का नाम है सुनीता शानू जो कि संयोग से मेरी अच्छी मित्र और
शुभचिन्तक भी हैं .
सुनीता शानू की कथनी व करनी में अन्तर नहीं है . उन्होंने अपने
एक समझदारी भरे निर्णय से साबित कर दिया कि लेखक का दिल
कितना बड़ा होता है और होना चाहिए . बात बिलकुल ज़रा सी थी,
उन्होंने एक महिला द्वारा लिखी गयी गन्दी पोस्ट के जवाब में
लिखी गयी मेरी पोस्ट को निशाना बनाते हुए मुझ पर कुछ टिपण्णी
की थी और तैश में आकर मैंने भी उनके विरुद्ध धारावाहिक पोस्ट
लिखने का ऐलान कर दिया था परन्तु जैसे ही उन्हें पता लगा कि
मेरी अगली पोस्ट उन्हीं पर होगी तो उन्होंने तुरन्त ही अपनी पोस्ट
के उस हिस्से को हटा दिया जिससे मुझे मिर्ची लगी थी.
धन्यवाद सुनीता ............मेरी दोस्त ! काश..........अन्य लोग भी जो
बिला वजह किसी व्यक्ति विशेष को उकसा कर ब्लॉग जगत में हंगामा
करने के आदि हो चुके हैं यदि आपसे प्रेरणा ले कर सुधर जाएँ तो
हिन्दी ब्लॉग जगत में फैलने वाली गन्दगी और बेहूदगी स्वतः ही
समाप्त हो जायेगी . सुनीताजी, जैसे ही आपने अपनी पोस्ट सुधारी,
मैंने भी वह पोस्ट हटा दी...............अगर आपने अमन का मार्ग चुना
है तो मैंने भी आपका सामान करते हुए आग पर रेत डाल दी है .
हे शान्ति की देवी............तेरी जय हो !
जय हिंद !
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