दीपावली अभिनन्दन के दोहे
दीया बालो प्रेम का, करो नेह का नूर
हर घर में आलोक हो, तम हो जाये दूर
पावन हो वातावरण, प्रसरे ज्योति सुगंध
सम्भव हो तो रोकिये, अब बारूदी गंध
वय वालों को चाहिए, रखें सतत यह ध्यान
नहिं दुर्घटनाग्रस्त हो, शिशु कोई नादान
लीपा चूल्हा अब कहाँ, कहाँ छाज की थाप
परम्परा को खा गया, आलसपन का शाप
अलबेला की आरज़ू, केवल इतनी यार
हरा भरा इस देश को, देखे सब संसार
भितरघातियों की करो, खोज खोज पहचान
ज़मींदोज़ कर दीजिये, उनके नाम-निशान
नंगा भूखा नहिं मरे, अब कोई इन्सान
निर्धन में भी है वही, जो हम में भगवान
दमक ये ज्योति-पर्व की, उर का यह उल्लास
ज्यों सरसों के खेत में, फूटे पका कपास
नयनों में आतिथ्य की, भरी रहे मनुहार
अविरल सबको बाँटिये, प्यार प्यार बस प्यार
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
हास्यकवि अलबेला खत्री का नया वीडियो एल्बम जय माँ हिंगुलाज |
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