Sunday, 11 August 2013

चुपचाप पी लो जैसे अडवानी जी अपने आंसू पी रहे हैं


आज सुबह सुबह जैसे मैंने प्याला हाथ में लिया तो चाय का रंग कुछ 

फीका सा लगा . मैंने गुड्डू की माँ से पूछा - क्या बात है आज चाय पत्ती 

 बहुत कम डाली है चाय में ..एक दम रंगहीन सी दिख रही है मनमोहन 

सिंह की तरह ... तो वो बोली - आज चाय नहीं मसाला दूध दिया है . 

चुपचाप पी लो जैसे अडवानी जी अपने आंसू पी रहे हैं . 


मैंने कहा दूध क्यों, चाय क्यों नहीं ? वो बोली -आज आपका त्यौहार है दूध 


पीने वाला . मैंने पूछा मेरा कौन सा त्यौहार ? बोली नाग पंचमी ....हा हा हा 


जय हिन्द !





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